धरती की गोदी में पले, भारत के हम लाल,
माटी की हर रजकण में, है वीरों की चाल।
जहाँ सूर्य नमस्कार करे, पर्वत भी झुक जाए,
ऐसी पुण्य धरा को, हम शीश नवाएं।
गंगा-सी निर्मल नदियाँ, हिमालय सा अभिमान,
भारत माता के चरणों में, अर्पित हर प्राण।
फूलों से रंग-बिरंगा उपवन, खेतों में स्वर्ण उगे,
सैनिक सीमा पर प्रहरी बन, जीवन अपना जगे।
तिरंगा लहराए नभ में, ये ही हो अरमान,
हर जन में हो चेतना, मातृभूमि का सम्मान।
ना जाति-धर्म का बंधन हो, ना हो कोई दीवार,
बस एक ही हो नारा — "माँ भारत तू अपार!"
हम शिक्षा से, सेवा से, नूतन निर्माण करें,
हर साँस में "जय हिंद" कह, जीवन धन्य करें।
जिस भूमि ने जीवन दिया, ऋण उसका चुकाएँ,
कर्तव्य, प्रेम और त्याग से, उसकी महिमा बढ़ाएँ।
मातृभूमि का सम्मान
डॉ बीएल सैनी
श्रीमाधोपुर सीकर राजस्थान