मां की आंचल में
सारा जमाना ढूंढ लेता हूं
उसकी मुस्कराहट में, खुशी का
खजाना ढूंढ लेता हूं
देखनी हो अगर, मुझे,
उसकी तेवर और गुस्सा
देर तक सोने का
बहाना ढूंढ लेता हूं
महाकुंभ, चारोधाम से
बड़ी है ममता की तीरथ
मां की आंखों में, ईश्वर का
ठिकाना ढूंढ लेता हूं
मैं क्या लिखूं मां को
उसने मुझे पूरा लिखा है
सुकून की चाहत में, बस,
नजराना ढूंढ लेता हूं।
सर्वाधिकार अधीन है