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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

समर्पण आपके लिए - अशोक कुमार पचौरी

लघु से लघुतम
कुछ सहमा सा
कुछ आशाएं
कम से कमतर
कुछ पूर्ण हुयी
या नहीं भी हों
फिर आप मिले
और वो भी मिलीं
यहाँ वहाँ और
कहाँ गया
तब जाकर फिर
यह भी मिला
गुरु मिले 'आचार्य' जैसे
कुछ मित्र मिले 'गोस्वामी' से
कुछ शुभ चिंतक
और प्रेरणा स्त्रोत
"रीना जी" जैसे
करतीं कलमबद्ध
सूद [ब्याज] से लेना न
इनका कोई
प्रेरणा स्त्रोत 'वंदना सूद' मिलीं
'फ़िज़ा' के जैसी बहारें भी
'ताज' साहब जैसे सरताज मिले
राजा 'राजू जी' जैसे
कुशल मिले 'कौशल जी' से
'धर्म' कहूं या 'नाथ' कहूं
'मधुकर' मधु के 'चौबे' जी से
कृतिका जी जैसी ज्ञानी भी
और 'फौज़िआ' जी नसीबों से मिलीं
'गौतम' जैसे वैचारिक
हमको 'नेत्र प्रसाद' मिले
कुछ नया मिला
कुछ नए मिले
अंतर्मन में जहाँ द्वन्द मिला
वहीँ मिलीं 'अर्पिता पांडेय' जी
जहाँ जहाँ और जब जब
बात चली कुछ अपनों की
उनसे बचने की खातिर
रचना पढ़ी 'प्रजापत' की
कुछ कहानिया हिस्से आयीं
और स्नेह मिला अत्यंत जहाँ
कैसे उनका आभार करूँ
सच कहता हूँ 'वेदव्यास' जी
'कौशिक' जी जैसी समीक्षक मिलीं
'प्रभाकर' जी जैसे ज्ञानी भी
उद्घोष बार बार करते
भरते 'प्रकाश' से 'पांडे' जी
उद्घोष अभी तक हुआ नहीं
पर मिलीं 'सुप्रिया घोष' मुझे
समनामी 'अशोक' सुथार मिले
"स्वर्णा" सी 'कंचन जैन' भी तो
'अध्यात्म सिंह' और 'कमलकांत'
जिनमे व्याप्त सागर 'प्रशांत'
'चौरसिया' जी से 'पवन' मिली
कुछ उड़ने लगा कुछ खिलने लगा
'मुस्कान' मिली 'कौशिक' जी से
'आत्माराम' जी से आत्मसम्मान मिला
'गीतिका' जी से गीत मिले
'दीपक' जी से दीप्तिमान हुआ
'चौहान' जी 'दिनेश' साहब
लिखते हैं अति का कमाल
डॉ भी मिले 'राजेश पांडेय' जी से
और महानुभाव 'अशोक पाठक'
प्रतिभा न व्याप्त मेरे अंदर
फिर भी 'प्रतिमा सिंह' मिलीं
'रंजित' जी 'दीक्षित' मिले
और 'यादव' जी 'उमेश' भी
'स्नेह धारा' जी का 'स्नेह' मिला
'शीतल'ता 'अग्रवाल' जी से
'अनामिका' से नाम मिला
'धन्य' हुआ 'जिनपाल' जी से
'कविता' ली 'बेदी' जी से
'शांती' 'स्वरुप मिश्र' जी से
'सौर्य प्रधान' जी मिले
पर सौर्य न उनसे पा सका
'कृष्ण' मिले 'मुरारी' भी
'पारस राम अरोरा' भी
माननीय इतने मिले
सौभाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा
अन्य नाम भी होंगे, है 'आशा'
में अभागा अभी तक पढ़ न सका
जीवन व्यतीत सा लगता है
पर कितना बाकी पढ़ने को
और कितना बाकी मिलने को
आभार सभी का करता हूँ
आचार्यों का समीक्षकों का
जो प्यार मिला इस मंच पर
उस टीम 'लिखन्तु' का
क्षमा प्रार्थना पहले ही
यदि अपराध नाम लेने में हो हुआ

----अशोक कुमार पचौरी


यह रचना, रचनाकार के
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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

तेज प्रकाश पांडे said

Bhut sunder ashok ji

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Bahut Dhanywaad

राजू वर्मा said

वाह वाह क्या बात है

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार राजू वर्मा ji

रीना कुमारी प्रजापत said

नहीं अशोक जी आपने कोई अपराध नहीं किया, आपने बहुत ही अच्छा लिखा है likhantu family के सभी मेंबर्स का नाम इस तरह से शामिल करते हुए एक बहुत ही खूबसूरत कविता जो आपने लिखी है उसे हर कोई नहीं लिख सकता है हर कोई क्या? कोई भी नहीं लिख सकता है आपके सिवाय, बहुत बहुत धन्यवाद आपका कि आपने हम सब के नाम को कविता में शामिल किया। मन प्रफुल्लित हो उठा भाई🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार रीना मेम आपकी समीक्षा के लिए सच कहूं तो आपका ही सबसे ज्यादा भय था क्युकी एक जगह पर आपका अंतिम नाम प्रयोग में लिया है वहां हृदय से सम्मान है लेकिन न वहां 'जी' लगाया था या न कोई अन्य सम्बोधन तो थोड़ा संसय था - फिर इतने सरे महानुभाव हैं कहीं कोई नाम गलत उच्चरित होगया हो उस सबके लिए क्षमा प्रार्थी था और अभी भी हूँ - सुप्रभात नमस्कार

फ़िज़ा said

जनाब क्या फिजा से तात्पर्य मुझ से है? खैर छोड़िए जिस से भी है कविता बहुत प्यारी है बहुत खूब लिखा अशोक जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

बहारें तो फ़िज़ा से ही होती हैं - आपका बहुत बहुत शुक्रिया जिनकी दृष्टि मेरी रचना पर पड़ी और मुझे प्रतिक्रिया देकर कृतज्ञ किया

अर्पिता पांडेय said

आपने तो सबको एक ही माला में पिरोकर एक सुंदर हार बना दिया सादर अभिवादन

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपकी उपस्थिति मात्र से ही गौरवान्वित हूँ आभार प्रकट करते करते यह कविता बन पड़ी है आपने इसे माला और हार की संज्ञा देदी मेरे लिए गौरव का विषय है

कमलकांत घिरी said

अरे वाह ! आपके क्या कहने , बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक पंक्तियों से जो आपने अपनी कविता में सभी के नाम सम्मिलित किए उसका तो कोई जवाब ही नहीं, हम तो बहुत प्रसन्न हुए बहुत ही सुंदर लिखा है आपने, बहुत खूब और धन्यवाद भी जो आपने अपनी कविता में हमें याद रखा।🙏💐

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपकी उपस्थिति के लिए - यदि आपको पढ़ा है और उसमे से कुछ या पूर्ण शब्द रूपी ज्ञान को चुराया है तो आपको कैसे याद नहीं रखूँगा

आत्माराम जानकी said

बहुत बढ़िया प्यारे लाल 'आर्द्र' साहब कमाल की कविता लिखी है आत्म सम्मान तो हमें आपकी इस कविता से मिला है, बहुत सुन्दर प्रयास एवं सफलता दिल को छू लिया इसलिए नहीं कि मेरा नाम याद किया गया इसलिए कि आपने हम सबको पढ़ा और फिर एक सूत्र में बाँध दिया इस कविता के माध्यम से

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

उपस्थिति के लिए धन्यवाद आपका स्वागत है आभार अभिनन्दन

Kamalkant said

अद्भुत बहुत खूब, सुन्दर रचना प्रवाह aapne तो कवि स्तम्भ बना दिया क्या यह आपने अशोक स्तम्भ का return गिफ्ट दिया है 😀😃👏👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

नहीं श्रीमान आपका बड़प्पन है - अशोक स्तम्भ उस महान सम्राट अशोक के लिए है जिसके तुल्य में तिनके का एक अणु भी नहीं हूँ - मेने तो जिन जिनको पढ़ा और उनसे शब्द रूपी ज्ञान को चुराया बस उन्हें अभिवादन स्वरुप यह रचना लिखी है

वन्दना सूद said

क्या बात है भाई 👏👏 एक बात तुमसे मैं भी कहूँ मान दिया तुमने हम सबको कोई देता नहीं जो अपने अपनों को कुछ शब्दों को लिख लिख कर अपनी ही व्यथा सुनाते थे कुछ भी नहीं थे हम अब तक तुमने बहुत कुछ हमें बना दिया हम सब अजनबी थे आज तुमने सबको अपना बना लिया

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka bahut bahut aabhar Mam is kavita ke kendra ko samjhne ke liye aur is pratikriya ke liye aapne bahut achha aur sach kaha apnapan mahsus hota hai yahan pratikriyaon ke madyam se ya rachnaon ke madhyam se kahin na kahin har kisi ki rachna se khud ko jod paata hun to un sabka shukriya Jisme aap bhi shamil hain.. bahut bahut dhanywaad aapka mam🙏🙏

प्रभाकर said

अशोकजी आप जो लिखते है उसमे जादू है l

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

प्रभाकर सर आपकी प्रतिक्रिया रूपी आशीर्वाद में जादू होता है जो होसकता है रचना में झलक पड़ता हो आपका बहुत बहुत आभार सर

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