दर्द की ये पहली निशानी लिख रहे हैं
अश्क से हम एक कहानी लिख रहे हैं
लोग कहते हैं दिल से लहू बहता है ये
हम तो इसको सिर्फ पानी लिख रहे हैं
जो नहीं मिलता कभी भी मुस्कुरा कर
उस बेवफा को खानदानी लिख रहे हैं
दास दिल का आइना चटका हुआ है
बस एक टुकड़े की जुबानी लिख रहे हैं
इश्क या अश्क में फासिला कुछ नहीं
और सब इसे गहरी नादानी लिख रहे हैं....