मैने सपने में भी
तुझे अपना सोचा न था
पर अब सपने में भी
पराया न सोचूंगा
दिल तो तुमको
दे ही दिया है
बोलो तो सही जान भी दे दूंगा
बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
चाहता हूं उतरना रूह मैं तेरी
जिस्म की मुझे चाह नहीं है
तेरे सिवा कोई राह नहीं है
तेरी रूह को हासिल
करना चाहूं
तेरे जिस्मों जां में
बसना चाहूं
जहां भी जाऊं
तुझको पाऊं
बिन देखे तेरा चेहरा
कैसे जी पाऊं
प्यार है तुमसे
क्योंकि तुमने बड़ी
शिद्दत से रब से
मुझे मांगा होगा
तेरे प्यार का ही तो
शायद यह असर है
कि तेरे दिल के करीब
तेरा प्यार होगा
रब से जो मांगा वो
हमेशा पाया
और जो कुछ ना मांगा
तो तुमको रब ने बिन मांगे ही दे डाला
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




