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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लगता है ये इश्क़ मुझे-- विरह गीत -वेदव्यास मिश्र

लगता है ये इश्क़ मुझे,
नाक़ाम करके छोड़ेगा !!
इक ना इक दिन ये मुझे,
बदनाम करके छोड़ेगा !!

राज़े-उलफ़त थी दिल में,
तब तक मुश्किल ना थी !!
अब मगर लगता है ये मुझको,
सरेआम करके छोड़ेगा !!

हम तो ग़ालिब भी नहीं,
शायरी से हर ज़ख़्म कहें !!
लगता है आशिक़ी मुझे अब,
परेशान करके छोड़ेगा !!


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Sandhya Sarswat said

Nice one

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam Acharya Ji🙏🙏 Bahut sundar Geet aapki anupasthiti me khalipan sa tha wo bhar hua pratit ho Raha hai..

वेदव्यास मिश्र said

Sandhya Sarswat जी, आभार नमन सहृदय 🙏💜💜🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, मेरे दोस्त, मेरे अनुज श्री..हमरा भी यही हाल है !! अब तो बस सर समय लिखन्तु डाॅट काॅम और आप शुभचिन्तकों का हरि नाम जाप ही चल रहा है !! सच कहें,पराये शहर में कोई अपना सा अपनापन मन को रिझाने लगा है !! अब इस शहर में हमारा भी मन लगने लगा है !! अब इस शहर में पचौरी जी के साथ मन बहलने लगा है !! इस बेगाने शहर में कोई अपनों सा लगने लगा है !! अब मेरा भी मन इस शहर में रहने लगा है !! 😍 इ त कविता बन गईल बबुआ ..लगता है इ लखनऊ के चप्पे -चप्पे में इश्क़ घुला हुआ है ..इ त बात-बात में गीत बनने लगा है !! अब इस शहर में हमारा भी दिल लगने लगा है !! 🌿🌿💜💜🌿🌿

Kapil Kumar said

Bahut khoob...

वेदव्यास मिश्र said

Kapil Kumar जी, आभार नमस्कार 🙏⛱

Updesh Kumar Shakyawar said

अति सुन्दर आभार नमस्कार 🙏

वेदव्यास मिश्र said

Updesh Kumar Shakyawar जी, नमस्कार सुप्रभात...मेरे लिए मायने रखता है आपकी प्रतिक्रिया !! 🙏🙏🍵🍵🙏🙏

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