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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्यूं खोया खोया रहता है अब दिल अपना

कापीराइट गीत

क्यूं खोया खोया रहता है अब दिल अपना
प्यार में पागल हो गया शायद दिल अपना


इक हवा के झोंके ने फिर से महकाया है
यह प्यार की भीनी भीनी खुशबू लाया है
अब कैसे समझाए खुद को ये दिल अपना
प्यार में पागल......................


कब चैन मिलेगा इन जुल्फों की छावों में
अब थाम ले कोई मुझको अपनी बाहों में
बस में नहीं है शायद अब ये दिल अपना
प्यार में पागल.......................


इस राह में चलते पड़ गए छाले पावों में
है खबर नहीं कब चुभ गए कांटे पावों में
अब ढ़ूंढ़ रहा हूं तेरे शहर में दिल अपना
प्यार में पागल.......................

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Komal Raju said

बहुत सुंदर प्रस्तुति

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार कोमल राजू जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

कब चैन मिलेगा इन जुल्फों की छावों में अब थाम ले कोई मुझको अपनी बाहों में बस में नहीं है शायद अब ये दिल अपना प्यार में पागल.. Bahut khoob Yadav Sir, Pranam sweekar karein

Lekhram Yadav replied

नमस्कार सर आपकी दुआएं और आशीर्वाद हर दम मेरे साथ रहें यही मनोकामना है।

रीना कुमारी प्रजापत said

अति उत्तम

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित प्रणाम स्वीकार कीजिए मेरी प्यारी बहना।

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