मुझे क्या पता था कि तुम करीब आओगे।
धुँधली सी तस्वीर को हकीकत बनाओगे।।
मन के साथ बुझाते अठखेलियाँ तुम मिले।
किसे पता सवाल का जवाब बन जाओगे।।
मेरी राह मंज़िल की चाहत और कुछ नही।
उसमें डूबे शख्स को तुम आकर बचाओगे।।
जिंदगी के सागर में लहरे उठती गिरती रही।
गहराई की खामोशी में तुम मुझे ले जाओगे।।
आँधी बन कर आए और उड़ा कर ले चले।
मेरे संग 'उपदेश' तुम जीना सीख जाओगे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद