तूँ मिला तो लगा फरिश्ता करीब आया।
सुनसान दिल का कोना कोना गुनगुनाया।।
तेरे साथ लम्हे कुछ खास हो जाए अगर।
जो था अधूरापन समिटने लगा पल गया।।
तेरे चुटकुलों को याद कर हँसना आ गया।
दिन रात तुझसे जुड़े एहसास खिल गया।।
तेरे बिन खामोशी के पन्ने खरखराये जरूर।
इधर-उधर देखा 'उपदेश' मन मचल गया।।
आँखों से ओझल हो गई तन्हाई तभी से।
दर्द उड़ा ले गई मौजमस्ती का पल आया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद