धूप में भी छांव का अहसास देता है बनारस,
जैसे हर मोड़ पे कोई पास रहता है बनारस।
घाट की सीढ़ियों पे बैठे ख़्वाब दिखते हैं,
नींद से बढ़कर कोई उल्लास देता है बनारस।
माटी में बसें हैं कथा, ग़ज़ल, इतिहास,
हर क़दम पर कोई विश्वास देता है बनारस।
यूँ ही नहीं दिल को भाता है हर राही के,
रूह से जुड़ने का एहसास देता है बनारस।