क्या कमाए कोई
क्या खाए कोई
क्या बचाए कोई
खाते हैं तो बचना
मुश्किल
बच्चें हैं तो कमाना
मुश्किल
कमाई इतनी की
कुछ भी बचना मुश्किल।
मुश्किलातों की दौर में
हालातों के हलक भी
सुख जा रहें हैं।
मुर्ग मुसल्लम की बात
कौन करे
नमक रोटी भी नहीं
ठीक से खा पा रहें हैं।
सिर्फ झूठी और कुटिल
मुस्कान है।
सभी का जीव हल्कान है।
कुपोषित लोग कुपोषित
सारा समाज है।
ढह रहा था भविष्य कल
मयखाने में
आधा जीवन बीत रहा लोगों का
सोंचते सोंचतें यारों कुशलखाने में।
चंद लोगों के हाथों में
सब लोगों का धन है।
किसी को खाने को एक पाव भी नहीं
कोई फैंक रहा खाना यारों मन मन है।
कहां खुदा कहां गई उसकी खुदाई है
मंदिर में भगवान लूट रहा दुहाई है दुहाई है।
राम नाम के बेला में पल पल
सीता हरण हो रहा।
और इससे बुरा क्या हो सकता कि
मंदिर की दान पेटी ने भू यारों अब सेंध
हो रहा।
ऐसी लोगों की माली हालत आई है।
कि सबके भविष्य में पड़ गया खटाई है।
आम आदमी के लिए सब नियम
खास आदमी सब तोड़ रहा।
कोई एक पैसे की हेरा फेरी में जेल जाता
तो कोई बैंक हीं डकार गया।
शासन प्रशासन के आशीर्वाद से रातों रात
वह विदेश भाग जाता है।
और आम आदमी से एक रुपया कर्ज़ का
दस रुपए वसूला जाता है।
इस जन्म में उधार ना चुकाया तो
अगले जन्म तक पीछा किया जाता है।
ऐसे में क्या करे आम आदमी
ना कमा पाता है
ना खा पता है
और ना ठीक से कुछ बचा पाता है।
अगर कुछ बना भी लिया
बचा भी लिया तो सिस्टम की भेंट चढ़ जाता है।
पढ़ लिख लिया तो चपरासी
नहीं तो लेबर मज़दूर बन जाता है।
आत्मा की लड़ाई में अपनी अंतरात्मा से
पिछड़ जाता है।
ना ठीक से काम पता
ना खा पता
ना बचा पाता है।
आम आदमी को एक दिन
आम की चटनी जैसा पिस दिया जाता है।
जिंदगी में कुछ मिले ना मिले
मरणोपरांत अच्छाइयों वाला तमगा मिल जाता है।
बस इतने से हीं गरीब खुश हो जाता है।
अमीर को अमीर बना ख़ुद मर जाता है..
आम आदमी यूहीं बस आता है और जाता है..
अमीरों की फैक्ट्रियों में मजदूर बन जाता है..
गरीबी हटाने वाले खुद अमीर तो
गरीब ख़ुद हीं हट जाता है।
गरीबों का कोई नही भगवान भी नहीं
बचाता है ।
जीते पर पूरी दुनियां
हारे पर कोई नहीं आता है
इसलिए कहता है आनंद..
क्या कमाए कोई
क्या खाए कोई
और क्या बचाए कोई..
और क्या बनाए कोई..
गरीब और आम आदमी का
जीवन ऐसे हीं कट जाता है...
आम आदमी का जीवन
ऐसे हीं कट जाता है...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




