लहज़ा बदलने से कोई
अजनबी नहीं हो जाता ,
वक़्त है साहिब
हर वक़्त किसी का एक सा नहीं रहता ,
कोई बोल कर अजमाता है
तो कोई चुप रह कर अजमा लेता है
दिल न दुखाना
किसी की बेरुख़ी से ,
क्या पता वो
किस व्यथा से गुज़र रहा हो ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है