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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ तो रहम कर – कमलकांत घिरी

कुछ तो रहम कर मेरे भी दिल पर ऐ मालिक,
हर बार एक ही चेहरा ज़हन पे मेरे न लाया कर..!




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Lekhram Yadav said

सुप्रभात कमलकांत भाई, क्या एक से दिल नहीं भरा जो दूसरी की तमन्ना कर रहे हो।

कमलकांत घिरी replied

तमन्ना तो कर रहे हैं सर जी मगर यह तमन्ना किसी एक से दिल भर जाने के बाद वाली तमन्ना नहीं है, ये तमन्ना उसी एक को हासिल करने की है😁 फिलहाल तो हम तमन्ना ही कर सकते हैं बाकी नसीब का लिखा तो खुदा जाने...🙏आपकी समीक्षा के लिए धन्यवाद सर जी प्रणाम🙏🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर प्रस्तुति, वैसे नसीब में जो भी लिखा होगा वो अच्छा ही होगा, 😊😊💐

कमलकांत घिरी replied

शुक्रिया रीना दीदी, आपकी बातें हमें अच्छी लगीं नमस्कार🙏🙏

वन्दना सूद said

बहुत खूब 👏👏

कमलकांत घिरी replied

शुक्रिया मैम🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आपके दिल पर अगर एक ही चेहरा है मान लीजिए दिल पर उसी का पहरा है। कमलकांत जी आपने बड़ी अच्छी पंक्तियां लिखी है। बहुत बढ़िया!

कमलकांत घिरी replied

आपकी समीक्षा के लिए बहुत शुक्रिया सर जी 🙏

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