बीती बातों को उठाकर दम लिया
रिश्ते नातो को भुलाकर दम लिया।।
सारी बस्ती की सजा हमको मिली
जालिमों ने घर जलाकर दम लिया।।
जल रहा था जो अकेला सुनसान में
वह दिया ही बुझाकर दम लिया।।
खुद की रूह से आदमी लड़ता है जब
जिन्दगी ने रंग दिखाकर दम लिया।।
बिना समझे दर्दे दिल की असलियत
हर रोज ही नुस्खा बताकर दम लिया ।।
दास इसका फैसला अब खुदा करेगा
कौन है यूं जिसने गिराकर दम लिया ।।