लब पर आते-आते चूक गया नाम तुम्हारा।
बेशक जहालत में रखा होगा नाम तुम्हारा।।
मन की दहलीज पार करने को दिल करता।
किसी को क्या के हम लेलेंगे नाम तुम्हारा।।
होंठो पर जीभ फिरते मन लालायित होता।
खेल-खेल में शामिल 'उपदेश' नाम तुम्हारा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदे'
गाजियाबाद