किस दिन तुमसे इश्क़ हुआ, दिल को अब तक याद नहीं,
बस इतना मालूम है हम, तुमसे बेइंतहा हो गए कहीं...
🎼 शेर 1:
किस दिन तुमसे बात हुई, वो लम्हा रूह में गूंज गया,
ख़ामोशी ने छू लिया, और दिल का मौसम भी भीग गया...
किस दिन तुमको याद किया, कब आँखें भीग गईं पता न चला,
तेरे नाम पे धड़कन रुकी, और सांसों ने गीत नया लिखा...
🎼 शेर 3:
किस दिन रातों में ख्वाब बुने, चाँद भी रुक के देखता रहा,
तेरे साये को छूने की चाहत में नींदों का कारवाँ बहका रहा...
किस दिन आँखों की तकरार हुई, वो शिकवा भी मीठा सा था,
तू नाराज़ था, हम चुप थे, मगर दिल तुझसे ही जुड़ा सा था...
🎼 शेर 5:
कभी तन्हा बैठ के सोच लिया, तेरा होना क्या मतलब था,
हर सवाल में बस तू ही था, हर जवाब अधूरा बे-सबबअब रोज़ वही मौसम है, अब रोज़ वही अहसास हैं,
तू पास नहीं फिर भी लगे, जैसे सांसों में तेरे ही पास हैं...
🎼 मक़ता (शायर का नाम):
‘ललित’ ने जब कलम उठाई, हर मिसरे में तेरा नाम लिखा,
इश्क़ की स्याही से ग़ज़ल बनी, और तन्हाई ने पैग़ाम लिखा...
- ललित दाधीच।।