काश मैं तितली होती,
अपने रंग-बिरंगे पंखों,
को मैं रोज सवारती।
फुलों को बिस्तर समझ,
उनपर सो जाती।
काश मैं तितली होती,
अपने नन्हें-नन्हें पंखों संग,
मैं पुरी दुनिया विचरती।
ऊंचे आसमान में उड़,
कर पुरी धरती निहारती।
काश मैं तितली होती,
फूलों के बगियों से,
मैं कहीं दूर ना जाति,
मीठे-मीठे फूलों का,
रस मैं पी पाती।
काश मैं तितली होती,
काश मैं तितली होती।