बोल दो चाँद से बदली में न रहे।
छत पर आशिकी आपे में न रहे।।
दूर-दूर रहकर अब जी नही भरता।
तसव्वुर छटपटाये कायदे में न रहे।।
देखने को कोई खास होना चाहिए।
दिल की बेताबी वायदे में न रहे।।
जाने क्यों तेरी खुशी प्यारी मुझको।
दर्द बढ़ जाता मेरा आपे में न रहे।।
चेहरे का रंग ढंग जरा नजर आते।
अब जिंदगी 'उपदेश' सांचे में न रहे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद