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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

किसी ने मुझसे कहा था प्यार सबसे ख़ूबसूरत अहसास है

किसी ने मुझसे कहा था
प्यार सबसे ख़ूबसूरत अहसास है,
यह फीलिंग्स बेकार नहीं,
बल्कि जीने का सबसे हसीन तरीका है।

मैं कहता हूँ
लोग नहीं, दिलों में बसी मोहब्बत सच्ची होती है,
डरने का सवाल ही नहीं,
प्यार से ही तो इंसान इंसानियत सीखता है।

प्यार में ही तो वो ताक़त है
जो टूटे दिलों को जोड़ देती है,
जो बिखरी रूह को सुकून देती है,
प्यार से बड़ा कोई सहारा नहीं।

लोग कैसे भी हों,
मगर सच्चा प्यार कभी बेकार नहीं होता,
ये ही तो वजह है
कि दिल धड़कता है,
और ज़िंदगी मुस्कुराती है।

और लोग - लोग नहीं बदलते,
आपका देखने का नजरिया बदल जाता है।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, प्यार की कोमलता, मौलिकता और सच्चाई को खूबसूरत तरीके से सहजता, सरलता से लिख दिया है कि पढ़ते ही दिल में उतरने लगी। प्यार तो जिंदगी को बदलकर रख देती है। प्यार सचमुच बिखरे मन को समेट देती है, जिंदगी में मुस्कान भर देती है। क्या खूबसूरत तार्किक बातों को उकेरा है आपने।आपका सादर वंदन अभिनंदन!!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय सोनवानी सर जी को सादर प्रणाम सहित बहुत बहुत आभार, आप रचना को जिस प्रकार पूर्ण रूप से भाव एवं कला को पढ़ समझकर टिपण्णी करते हैं, लिखने का मज़ा आजाता है, आपकी समीक्षा समुन्द्र मंथन से निकले अमृत सामान होती हैं

सुभाष कुमार यादव said

आपकी वैचारिकता एवं सृजनशीलता अद्भुत है। आशु कवित्त का श्रेष्ठ उदाहरण।👌👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय यादव सर जी को सादर प्रणाम, आपके भाषा,प्रवाह,शिल्प सौंदर्य एवं लेखन विविधता के आगे ये शुन्य है, आपके सानिध्य एवं आशीर्वाद के लिए आभारी हूँ

पवन कुमार "क्षितिज" said

बात तो आपने वाकई सच कही है..इस राह पर हम कुछ भी कदम चल लें तो मुहब्बत की मंज़िल नज़र आने लगे..👌 वो किसी गीतकार महोदय ने सही कहा है..सांसों से नहीं, कदमों से नहीं, मोहब्बत से चलती है दुनिया..♥️

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

जिन महोदय ने कहा है सही ही कहा है..सांसों से नहीं, कदमों से नहीं, मोहब्बत से चलती है दुनिया..♥️ सच ही कहा है आदरणीय क्षितिज सर जी, आपकी प्रसंसा करने का अंदाज़ निराला है, आपको सादर प्रणाम

रीना कुमारी प्रजापत said

😀😀😀bahut khubsurat.... Aap bhi bta hi dijiye ab unka naam

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, समीक्षा के लिए आपका बहुत आभारी हूँ आपको सादर प्रणाम, नाम में क्या रखा है, उनके काम देखिये,गिनिए और पहचानिये

श्रेयसी said

जिसने भी कहा था बिल्कुल सच कहा था बहुत सुंदर हमेशा की तरह लाज़वाब रचना 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, समीक्षा के लिए आपका बहुत आभारी हूँ आपको सादर प्रणाम

वन्दना सूद said

और लोग - लोग नहीं बदलते,
आपका देखने का नजरिया बदल जाता है।👌👌👏👏बहुत खूब हर पंक्ति क़ाबलियतरीफ़ है

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, समीक्षा के लिए आपका बहुत आभारी हूँ और सहमत हूँ लोग नहीं बदलते, लोगों को देखने का नजरिया बदल जाता है, बस छोटी छोटी बातों पर उनकी अच्छाई भूल जाते हैं, कमियां निकलने लगते हैं, दूरियां बनाने लग जाते हैं, या कभी कभी इतना शांत होजाते हैं कि सामने वाला टूट जाता है

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

आप शानदार लिखते हैं! बहुत ख़ूब! बेमिसाल रचना! 👍😊💐

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय आपकी प्रसंसा आपका बड़पन है, आपके लेखन और लेखनी के आगे नतमस्तक हूँ

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