गुरबती में यहां अपनी,
जिंदगी कट रही है।
कहां जाऊं सत्य की खोज में,
जब हर खुशी रो रही है।।
हमें तो बस जीना है,
जिंदा रहने के लिए।
वक्त ही कहां है,
सत्य और झूठ जीने के लिए।।
हम गरीब हैं,
हमें क्या वास्ता है सत्य और झूठ से।
बस दो वक्त की भूख मिटे,
काम कर रहे हैं जिंदगी भर से।।
बस्ती है माकां है,
और रहने को है बशर,
इंसा तो है सब ही यहां,
पर जानवरों सी है गुजर।।
नज़रों के सामने हो रहा सितम है,
पर मदद को न कोई यहां हाथ है।
सबको है बस अपनी पड़ी,
किसी को न किसी का साथ है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




