खून के रिश्ते वही अपने पराये यहाँ।
कुछ अदब करते कुछ ने भुलाये जहाँ।।
खूबियाँ हर एक में पहचानने वाले कम।
तीन पीढ़ी बाद में चौथी को याद कहाँ।।
हम क्या हम से अच्छे हजार लोग होंगे।
जिनको भुलाना नामुमकिन यहाँ-वहाँ।।
सिर में चक्कर आये जा रहे नींद कहाँ।
यादें वही रूहानी सिलसिले रुकते कहाँ।।
अब उनकी यादें भी साथ मेरे जायेंगी।
अदबी शोक में 'उपदेश' आँसू आते कहाँ।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद