इस ग़ज़ल से मिलने की ख़्वाहिश पूरी हो गई
लेकिन उस ग़ज़ल से मिलने की ख़्वाहिश
अधूरी रह गई।
इस ग़ज़ल से तो मैं रोज मिलती हूॅं,
लेकिन लगता है उस ग़ज़ल से मिलने की
राह कहीं खो गई।।
इस ग़ज़ल से रोज मिलना,इस ग़ज़ल को रोज लिखना
मेरी क़िस्मत में था,
तभी तो इस ग़ज़ल से रोज मिलती हूॅं इसे रोज लिखती हूॅं।
लेकिन लगता है उस ग़ज़ल से मिलना क़िस्मत में नहीं,
तभी तो लाख कोशिशों के बाद भी
मिल नहीं पाती हूॅं।।
एक ग़ज़ल उस ग़ज़ल के नाम लिख दी मैंने,
उससे मिलने को उसे देखने को बहुत बैचेन हूॅं
ये बात भी उसमें लिख दी मैंने।
जितनी प्यारी है मुझे ये ग़ज़ल
उतनी ही प्यारी है मुझे मेरी वो ग़ज़ल,
ये दास्तां भी इस ग़ज़ल में लिख दी मैंने।।
ये ग़ज़ल हर वक्त मेरे क़रीब रहती है,
लेकिन वो ग़ज़ल अभी मेरे नज़दीक आई ही नहीं।
ये ग़ज़ल मुझे बहुत प्यार करती है,
लेकिन वो ग़ज़ल तो अभी मुझे जानती ही नहीं ।।
इस ग़ज़ल से रोज मुलाक़ात की खुशी मुझे ज़िंदा रखती है,
लेकिन उस ग़ज़ल से मिल नहीं पाने का दुःख
मुझे कमजोर बना देता है।
इस ग़ज़ल से मिलने की कामयाबी
मुझे लिखने में मशहूर बना देगी,
और उस ग़ज़ल से मिलने की कामयाबी
दिल के रिश्तों में चार चांद लगा देगी।।
✍️💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐✍️