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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी

एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी, कैसे मिले थे हम?
कैसे दोस्त बने?
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी...

तुम्हारा रूठना , तुम्हारा हॅंसना
तुम्हें मनाना और फिर खुद रूठ जाना
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी....

कॉलेज में मिलकर
सभी के टिफिन से खाना खाना
और मेरे खाने की तारीफ़ें करना,
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी...

तुम मेरे पहले दोस्त थे जिसने
सच्चे दोस्त होने का हल्का एहसास कराया फिर बिछड़ गए
पर दिल में हमेशा हम तेरे और तुम मेरे रहे, ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी....

फिर तुम मिले तुम मेरे पहले दोस्त थे जिसने
सच्चे दोस्त होने का पूरा एहसास कराया
उस पहले दोस्त की सच्ची दोस्ती के
हल्के एहसास को पूरा किया और
दोस्ती को बखूबी निभाया,
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी....

वो सुलगती मई-जून की गर्मी में कॉलेज जाना,
बोतल में बर्फ़ जमाकर साथ ले जाना
और फिर पानी के साथ मिलाकर उसे पीना, वो शरारतें, वो मस्तियां
वो बीते दिनों की यादें,
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी...

"रीना कुमारी प्रजापत"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Muskan Kaushik said

Bahut Sundar 😊aapane to purane Dinon Ki Yad Dila Di 😍😍

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku muskaan ji

वेदव्यास मिश्र said

आखिर तो आपने लिखूँगी..कहते-कहते एक शानदार किताब तो लिख ही दीं !! खूबसूरत अहसास..ऐसा क्यूँ लगता है..सबके अहसास लगभग-लगभग एक जैसे ही होते हैं !! हार्ट टचिंग रचना 👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

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