एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी, कैसे मिले थे हम?
कैसे दोस्त बने?
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी...
तुम्हारा रूठना , तुम्हारा हॅंसना
तुम्हें मनाना और फिर खुद रूठ जाना
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी....
कॉलेज में मिलकर
सभी के टिफिन से खाना खाना
और मेरे खाने की तारीफ़ें करना,
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी...
तुम मेरे पहले दोस्त थे जिसने
सच्चे दोस्त होने का हल्का एहसास कराया फिर बिछड़ गए
पर दिल में हमेशा हम तेरे और तुम मेरे रहे, ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी....
फिर तुम मिले तुम मेरे पहले दोस्त थे जिसने
सच्चे दोस्त होने का पूरा एहसास कराया
उस पहले दोस्त की सच्ची दोस्ती के
हल्के एहसास को पूरा किया और
दोस्ती को बखूबी निभाया,
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी....
वो सुलगती मई-जून की गर्मी में कॉलेज जाना,
बोतल में बर्फ़ जमाकर साथ ले जाना
और फिर पानी के साथ मिलाकर उसे पीना, वो शरारतें, वो मस्तियां
वो बीते दिनों की यादें,
ये सब मैं उसमें लिखूंगी।
एक दिन तुम पर एक किताब लिखूंगी...
"रीना कुमारी प्रजापत"