कापीराइट गीत
एक संदेशा, प्यार का, ये, आज, लाई है
आ जा, अय, महबूब, तेरी, याद आई है
आज न जाने क्यूं मेरा दिल दीवाना डोल गया
कोई मेरे कानो में जैसे मिसरी घोल गया
आज न जाने क्यूं तेरी, मुझे याद आई है
अरे आ जा, अय, महबूब, तेरी, याद आई है
चैन चुरा लेती हैं मेरा, रातों में मेरी नींदें
छू जाती हैं दिल को बारिश की मीठी बूंदें
देख मेरे घर चल कर ये बरसात आई है
आ जा, अय, महबूब, तेरी याद आई है
आती हो तुम बनके दुल्हन मेरे सपनों में
रोज उठाता हूं तेरा घूंघट अपने सपनों में
अब ख्वाब सुहाने ले कर ये रात आई है
आ जा, अय, महबूब, तेरी याद, आई है
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है