'विश्वास की जड़ें'
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
दुनिया का सबसे कीमती पौधा, विश्वास का होता है,
जो धरती पर नहीं, दिलों में उगता है।
न इसे सींचने को, पानी की ज़रूरत,
न धूप की चाहत, न फूलों की सूरत।
ये उगता है वहाँ, जहाँ सच्चाई बसे,
जहाँ प्रेम की भाषा, हर पल बरसे।
इसकी जड़ें गहरी, हर रिश्ते में समाई,
जो देती है रिश्तों को, एक नई गहराई।
जब डोले मन, राहें हों अँधेरी,
ये विश्वास की लौ, तब बनती सवेरी।
ये बांधे रखता है, टूटे हुए मन को,
देता है हिम्मत, हर एक जन को।
बिना इसके जीवन, है सूखा उपवन,
न रिश्तों में रस, न मन में सावन।
इसे बोना पड़ता है, धीरज से यारों,
फिर ये देता है फल, खुशियों के प्यारों।
एक बार जो टूटा, तो जुड़ता नहीं ये,
काँच की तरह फिर, संभलता नहीं ये।
इस अनमोल पौधे की, तुम क़द्र करो,
अपने रिश्तों को, इससे ही भरो।