यज्ञ है यह, यज्ञ है
पहली आहुति तेरी है
अंतिम आहुति मेरी होगी
यज्ञ शुरू जब हुआ ही है
क्यों दो आहुति में ख़त्म ये हो?
पहली आहुति तेरी है
अब सब आहुति मेरी होंगी
न रण बचे रणवीर बचे
तुझ जैसे तुक्ष यदि हैं
हम तुझसे तुक्ष बनेगे भी
यज्ञ शुरू जब किया ही है
हम भी आहुति देंगे ही
अब छोड़ दिया और बहुत हुआ
कहना 'कि'
ऊपर वाला देखेगा
दो आंखें मेरी भी हैं
हम भी कुछ देखेंगे ही
त त त तुतलाना मत
खुली आंख से देख सिनेमा
वही सिनेमा तेरा निर्मित
दृस्य बदल कर मेरे होंगे
कमी कहीं कुछ रह जाये
कोशिश ऐसी नहीं करेंगे
तेरे द्वारा प्रज्वलित यज्ञ को
दे अंतिम आहुति पूर्ण करेंगे
----अशोक कुमार पचौरी