तीन चोर - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन"विख्यात"
तीनों चोर,
हो जाए खबरदार।
अफसर आया,
ईमानदार।
भीतर कुछ और,
बाहर कुछ और।
कहना चाहता है कुछ,
कहता कुछ और है।
अंकी इंकी डंकी लाल,
चलते हैं शतरंज की चाल।
गायब जो किये दस्तावेज,
धीरे-धीरे आ रहे हैं।
काकी ताई से मिलकर,
पुराना राग अलाप रहे हैं।
तीनों का अपना ही खेल,
घूस देकर करो मेल।
आधा तेरा आधा मेरा ,
चलेगी भ्रष्टाचार की रेल।