कापीराइट गजल
मिला नहीं कोई
जिन्दगी में मुझे ऐसा, मिला नहीं कोई
यूं हंस कर गुलाब सा खिला नहीं कोई
बदलते हुए करवटें गुजारी हैं कई रातें
चांद पहले कभी ऐसा, खिला नहीं कोई
देखा है तुझे चलते जिन राहों में हमने
उन राहों में मेरे जैसा चला नहीं कोई
यह साथ तेरा जब से हमें नसीब हुआ
साथ हमको कभी ऐसा मिला नहीं कोई
यूं तो देखे हैं यहां, कई हंसी चेहरे हमने
मगर ये चेहरा तेरे जैसा दिखा नहीं कोई
खुशबू, आई है जिधर से, ये हवा में तेरी
यूं झोंका ऐसा हवा का, मिला नहीं कोई
यहां फिर रहे हैं सभी झलक तेरी पाने को
शबाब ऐसा किसी पर खिला नहीं कोई
एक, बार जिसे तू, नजर भर के देख ले
होश में शख्स फिर वो, रहा नहीं कोई
तेरी आंखों से जानम छलकता है नशा
ये नशा कहीं मुझे ऐसा मिला नहीं कोई
गजल, तुम पर लिखना, चाहता है जो
वो शायर मुझे कहीं, मिला नहीं कोई
फिर रहे हैं ये तुझ में कमी ढूंढने वाले
कहीं मौका उन्हें ऐसा, मिला नहीं कोई
इन जादू भरी निगाहों में खो गए यादव
ये जादू कहीं पे ऐसा, दिखा नहीं कोई
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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