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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

खुद को छुपा कर मत रखो - सुप्रिया साहू

ख़ुद को छुपा कर मत रखो

खुद को छुपा कर मत रखो,
खुद को अपना बनाकर रखो।

दूर निगाहें लगाकर मत रखो,
किसी से निगाहें मिलकर रखो।

जिंदगी बंद कमरे में मत रखो,
जिंदगी में आज़ादी बनाकर रखो।

अपनी उड़ान दबाकर मत रखो,
आसमान की चादर ओढ़कर रखो।

बेकार की बातें दिल में मत रखो,
"सुप्रिया" से दिल लगाकर तो रखो।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

श्रेयसी said

बहुत सुंदर रचना 🙏🙏

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया मैम🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Updesh Kumar Shakyawar said

वाह...दूर निगाहें लगाकर मत रखो,...किसी से निगाहें मिलकर रखो। बहुत खूबसूरत प्रयोग करने के लिए सुप्रिया जी को शुभकामनाएं

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया सर जी🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

जिंदगी खूबसूरत है, जितना चाहो सजाकर रखो। सुप्रिया जी बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने।

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत धन्यवाद मनोज सर जी 🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

😊beautifully framed 👏👏

Supriya sahu replied

Thank you very much mam 😊🥰🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत आवाहन आपको सादर नमस्कार

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत शुक्रिया आदरणीय सर जी👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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