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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

परछाई में खोई मुस्कान

परछाई में खोई मुस्कान
चेहरा एक मुस्कान से निखर जाता है,
पर ये सदा चेहरे पर रहती कहाँ है ?
कभी जिम्मेदारियों में कहीं छुप जाती हैं,
तो कभी राहों के बीच कहीं खो जाती हैं ।

बचपन की यादों की तरह,
अब तो बस परछाई में ही झलकती है ।
वन्दना सूद


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! वन्दना जी, जिंदगी के उतार चढ़ाव और अनचाही कसक, इंसान की जिंदगी वो नाजुक पल भी आता है जब वो मुस्कराना चाहता है पर मुस्करा नहीं पाता। आपने चंद पंक्तियों में ही जिंदगी की इस नाजुक पल को बखूबी बयान किया है।सादर प्रणाम 🙏🌹🙏

वन्दना सूद replied

Shukriya sir 🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! बहुत ख़ूब! सचमुच रंज-ओ-ग़म और कशमकश भरी इस जिंदगी में लबों पे हॅंसी तो बिरले ही आती है, लेकिन...... लेकिन इंसान वही है ऑंसुओं को पी कर भी मुस्कुराता रहे! 👌👌👏👏

वन्दना सूद replied

Ji bilkul 🙏🙏

शिवचरण दास said

बचपन की यादों की तरह मुस्कान परछाई में झलकती है
मुस्कान भी तो एक वन्दना है जो मुश्किलों में भी छलकती है

वन्दना सूद replied

😊ji bilkul

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

ललित दाधीच said

बहुत खूब ❤️❤️🙏🙏🙏 बहुत कमाल की लेखनी 👌👌

वन्दना सूद replied

शुक्रिया जी 🙏🙏पर ऐसा कुछ नहीं है भाव कैसे आते हैं ये ऊपरवाला ही जाने

सुप्रिया साहू said

सच में कभी जिम्मेदारियों के तले दब जाती है मुस्कान और कभी किसी राह पे भटक जाती है, बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद replied

🙏🙏

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