प्रेम आपका पाकर
मैं निहाल हो रही
याद में आपके क्या-क्या
कमाल हो रहे
सोते सोते अचानक
मैं उठ कर बैठ गई
लगा आपने मुझको बुलाया
सब कुछ छोड़ मैं दौड़ गई
प्यार ने ऐसे मोड़ पे लाया
मस्ती में मैं खो गई
दिल डूबा तेरे ख्यालों में
मस्त मलंग मैं हो गई
जब तेरी एक छुअन से
तन में सिहरन हो गई
मन में एक उमंग जगा
मैं मस्तानी हो गई
तूने ऐसे अंग लगाया
मैं दीवानी हो गई
अधरों ने अधरों को छुआ
मैं बाँहों में खो गई
ऐसे मुझे महसूस हुआ
मैं तो तेरी हो गई
इस एहसास को क्या कहूँ
दूर होकर भी तेरे पास रहूँ
मधुर मधुर मुस्कान पे तेरे
मैं मतवाली हो गई
जब तूने छेड़ा प्रेम धून
पाँव मेरे यूं थिरक गए
कंगन, पायल, चूड़ी मेरे
खन-खन ,छन-छन बजने लगे
सर से चुनरी सरक गई
मैं तेरे बाँहों में बिखर गई
सोच सोच तेरी बातों को
ऐसे मेरी दिन-रात हुई!
----डाॅ पल्लवी "गुंजन"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




