ख्वाबों से बुना दीया
एक ‘दीया’ख़्वाब का बुना,
मेहनत के पसीने से उसे भरा,
उसमें उम्मीद की एक जोत लगाई,
फिर अपने जज़्बे के तेज से प्रकाशित किया।
यहीं ख़त्म नहीं होती
एक ख़्वाब की कहानी,
बहुतों के दीयों में
एक दीया ख़ास होता है।
जिसकी लौ की रोशनी दूर तक गई हो,
उस प्रकाश ने कितनों को मेहनत की राह दिखाई है,
निराशा को छोड़ कितनों ने उसे देख उम्मीद की जोत जगाई है,
कितनों के लिए मिसाल बन
उनके ख्वाबों का दीया भी प्रज्ज्वलित किया है ।
वन्दना सूद
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