जिंदगी की ठोकरों ने सिखाया गिरना और संभलना है,
मंज़िल की राह पर तो कांटों पर भी चलना है,
ये वादा रहा अब मेरा खुद से कि कुछ तो करामत करना है,
जो आश लगाए है अपनों ने मुझसे उनकी उम्मीदों में मुझे खरा उतरना है..!
–कमलकांत घिरी.✍️
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मंज़िल की राह पर तो कांटों पर भी चलना है,
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जो आश लगाए है अपनों ने मुझसे उनकी उम्मीदों में मुझे खरा उतरना है..!
–कमलकांत घिरी.✍️