जुगनू पकडने की हसरत रही।
उसे भी बचने की आदत रही।।
ये आँखे अँधेरे में देख न सकी।
दिल में छटपटाती चाहत रही।।
हवा का शोरगुल बाहर में रहा।
मखमली बिस्तर को हैरत रही।।
छिर्री से निकलने की कोशिश।
नाकाम 'उपदेश' इबारत रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद