खोलती है मन के द्वार
शिवानी जैन एडवोकेटByss
अपनी भावनाओं को परे रखकर, दूजे का सोचना,
उसके नजरिए से दुनिया को, पल भर को ही देखना।
सहानुभूति वह खिड़की है, जो खोलती है मन के द्वार,
और दूसरों के अंतरतम में, झाँकने का देती अधिकार।
जब कोई पीड़ा में हो, तो बस उसके पास बैठ जाना,
बिना कुछ बोले उसकी चुप्पी को, महसूस कर पाना।
यह नहीं कि हम उसकी जगह पर, दर्द को महसूस कर लें,
पर इतना तो जान लें कि, वह इस पल में अकेला न रहे।
सहानुभूति वह साया है, जो धूप में भी साथ चलता है,
और मुश्किल की हर घड़ी में, हौसला बनकर पलता है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




