दिलचस्पी को बढाकर नाता ही नही रखा।
मेरी जिन्दगी से उसने वास्ता ही नही रखा।।
मेरी ख्वाहिश पता उसको उसकी पता मुझे।
लोलुपता की वजह से रिश्ता ही नही रखा।।
अपना मानती मगर रुसवाई महसूस करती।
अपनी वेदना बताने का साहस ही नही रखा।।
मिन्नते करने का मन होता 'उपदेश' करें कैसे।
माहौल ऐसा बनाया कि उम्मीद ही नही रखा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद