खुद के दर्द को लिखना चाहता।
शब्द बौने कह रहे ये क्या चाहता।।
खामोशी की जुबान समझेगा कौन।
दिल में गहराई जिसके वो जानता।।
बिवाई हुई होती अगर पैर में कभी।
पीर मे मुस्कुराना शायद वही जानता।।
आँखें देखकर पहचानने वाले कहाँ।
कमजोरी मेरी रही होगी मैं जानता।।
तड़पना कैसे पड़ता कहना मुश्किल।
मोहब्बत हुई टूटी 'उपदेश' जानता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद