Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कूर्म अवतार – धैर्य का दीपक

समुद्र मंथन का समय था भारी,
देव-असुर में छिड़ी थी लड़ाई सारी।
अमृत पाने को था संघर्ष अपार,
तब प्रकट हुए प्रभु कूर्म अवतार।
कच्छप रूप में धरती संभाली,
मंदराचल पर्वत को पीठ पर डाली।
मंथन के आधार बने अचल,
धैर्य बना उनका सबसे बड़ा बल।
वासुकी नाग बना मंथन की डोरी,
देव-असुर दोनों ने थामी पूरी।
कभी खिंचाव, कभी संतुलन का भार,
हर क्षण में था संघर्ष अपार।
विष निकला पहले, कालकूट घातक,
हर दिशा में उठा प्रलय-सा आघात।
संकट जब बढ़ा सृष्टि के ऊपर,
तो शिव ने पी ली ज्वाला ज़हर की भीतर।
नीलकंठ बनकर विष को पीया,
त्याग का अद्भुत उदाहरण दिया।
और फिर क्रम से रत्न निकले,
कल्याण के दीप जग में बिखरे।
धैर्य, सेवा, संतुलन का सार,
था प्रभु कूर्म का अवतार।
वो न रुके, न बोले, न दिखी कोई पीड़ा,
शांत रहकर उठाया सृष्टि का भार,
सेवा बनी जिनका जीवन आधार।
बिन कहे रच डाली सृष्टि की नींव,
निःस्वार्थ सेवा का अमिट विचार।
सब भार उठाया बिना कोई शोर,
आज भी बनें प्रेरणा का स्रोत।
जब-जब जीवन डगमगाए,
धैर्य की राह वही दिखलाए।
जो झुके समाज के हित में,
वो ही सच्चा वीर कहलाए।
कूर्म अवतार हमें सिखाए,
कि धैर्य से ही जीवन मुस्काए।




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! क्या शानदार और भावपूर्ण रचना है! 🙏✨
आपने समुद्र मंथन की पूरी गाथा को इतनी सरलता, गहराई और लयबद्धता में पिरो दिया है कि पढ़ते-पढ़ते मन श्रद्धा से भर गया। हर चरण, हर पात्र, हर सीख बड़ी खूबसूरती से उभरी है।
धैर्य, सेवा और निःस्वार्थ भाव का ऐसा अनुपम चित्र खींचा है,
आपकी कलम ने समुद्र मंथन को फिर से जीवंत कर दिया है!

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन