"ग़ज़ल"
प्यार का तक़ाज़ा है क्या न ध्यान इस पे दिया करो!
मैं वफ़ा करूॅं वफ़ा करो गर जफ़ा करूॅं जफ़ा करो!!
ये दूरी इक अज़ाब है न दूर इतना रहा करो!
कुछ मेरी भी सुना करो कुछ अपनी भी कहा करो!!
राह-ए-ज़िंदगी में हर क़दम हम साथ हैं दम-ब-दम!
ये साथ यूॅंही बना रहे ख़ुदा से ये दुआ करो!!
मेरे हम-नवा मैं उल्फ़त की इक खुली किताब हूॅं!
तुम्हें जब कभी फ़ुर्सत मिले मुझे ध्यान से पढ़ा करो!!
इस ज़माने में इंसान की नीयत का कुछ पता नहीं!
यूॅं बन-सॅंवर के जान-ए-वफ़ा न ग़ैरों से मिला करो!!
एहसास मेरा ज़िन्दा रहे मुरव्वत मेरी नज़र में हो!
मेरे मालिक मुझे ऐसा दिल ऐसी नज़र अता करो!!
'परवेज़' ये मेरी ज़िंदगी तुम से शुरू तुम पे ख़त्म!
मैं तन्हा इस सफ़र में हूॅं मेरे साथ तुम चला करो!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*तक़ाज़ा = मांग या आवश्यकता या ज़रूरत (demand or need or urge); *वफ़ा = वफ़ादारी या निष्ठा या निबाह (fidelity or loyalty or sincerity); *जफ़ा = ज़ुल्म या सितम या अत्याचार या ना-इंसाफ़ी (oppression or cruelty or violence or injustice); *अज़ाब = पीड़ा या यातना या कष्ट (devine punishment for sins or chastisement or pain or torture); *राह-ए-ज़िंदगी = ज़िंदगी की राह (way of life); *दम-ब-दम = हर पल (every moment or continuosly); *हम-नवा = हमदम (having same opinion or speaking in unison or intimate companion or bosom friend); *उल्फ़त = मोहब्बत (love); *जान-ए-वफ़ा = महबूब या प्रेमी या प्रेमिका (life of constancy or lover or beloved); *मुरव्वत = लिहाज़ या रिआयत या उदारता या दानशीलता या इंसानियत या दरियादिली (respect or regard or consideration or favour or generosity or kindness or humanity); *अता = प्रदान (grant or giving).