कविता : सब से सुंदर सपना....
रिश्ते नाते सभी से
अलबिदा कर गया
मैं इस दुनिया से
एक दिन मर गया
मैं अचेत न मेरा सांस अंदर
जा रहा न बाहर निकल रहा
मगर मैं मर कर भी मुझे
सब कुछ पता चल रहा
बहुत सारे लोग
मेरे घर पर आ रहे
मेरे लाश पर कोई
माला कोई फूल चढ़ा रहे
कोई लोग घर पर आ कर
मेरे परिवार को समझा रहे
अपने लोग तो क्या मेरे दुश्मन भी
मेरे लिए आंसू बहा रहे
जब तक जिंदा था सारा
दिन घर पर ही रहता था
उस बखत तो एक भी आदमी
मेरे पास नहीं आता था
मगर आज मुझे देखने दो
सौ से ज्यादा आदमी खड़े हैं
कोई बरामदे में तो
कोई घर के बाहर पड़े हैं
सभी लोग मेरा ही
गुणगान गा रहे
मेरे दुश्मन भी मुझे
अच्छा ही बता रहे
कोई लोग मेरे
लाश को सजा रहे
कोई फिर शंख
फूक कर बजा रहे
चार लोग मुझ को
कंधा देने आ रहे
वही फिर मुझे
श्मशान पहुंचाने जा रहे
जिंदगी भर तो जिया
जीरो की तरह
जब मर गया लग रहा
हूं हीरो की तरह
मेरी लाश श्मशान की
ओर जा ही रहा था
मुझे आनंद भी
बड़ा आ ही रहा था
मगर ठंड का मौसम
कमबखत मुझे ठंड लग गया
रात को आंखें खुली तो
तपाक से मैं जग गया
जिंदगी का ये
मेरा अपना
एक था मेरा ही
सुन्दर सपना
एक था मेरा ही
सुन्दर सपना.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




