कविता - प्रिय चांद पर....
प्रिय हम दोनों ही
ये दुनिया से निकलते हैं
बहुत ही दूर
चांद पर चलते हैं
ताकि हम दोनों को
कोई देखे नहीं
हमारे बारे में कहानी
कोई लिखे नहीं
हम दोनों के अलावा
न कोई और फर्जी हो
केवल तुम और मैं
सिर्फ हमारी मर्जी हो
वहां पर कभी
न किसी का डर हो
तुम्हारा मेरा एक
सुंदर घर हो
ढेर सारे हम
दोनों के बच्चे हों
वे सब से सुंदर
और अच्छे हों
बच्चे पैदा करते बखत
न हम को डरना पड़े
न कभी हम को परिवार
नियोजन करना पड़े
हमारा परिवार
इतना बड़ा हो
बच्चों ही बच्चों का एक
साम्राज्य खड़ा हो
वहां पर तो तुम रानी
मैं राजा हो
सिर्फ तुम्हारा मेरा बजता
वहां बाजा हो
प्रिय देर न करो
अब चलते हैं
बहुत ही दूर
चांद पर निकलते हैं
बहुत ही दूर
चांद पर निकलते हैं.......
netra prasad gautam


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







