(कविता ) (नाैकर)
उस बेचारे में सिर्फ चिन्ता फिकर है
क्याें कि वह गरीब एक नाैकर है
दुर्ब्यभार घर में परिवार सारा करता
मालिक कभी डांटता कभी झापड मारता
ये सब कुछ वह बेचारा सहता
चुप-चाप रह कर कुछ भी नहीं कहता
हाेता ऐसा मजबूर हाे कर है
क्याें की वह गरीब एक नाैकर है
इतना ही नहीं काम बहुत उस से लेता
महिने बाद मुश्किल से थोड़े से रुपये देता
इस महंगाई में क्या उस से हाेता
अन्दर से दिल बहुत उसका राेता
काटता दिन-रात राे कर है
क्याें की वह गरीब एक नाैकर है
सुबह से लगातार काम पर ही हाेता
रात काे बाह्र बजे तभी वह साेता
साेना क्या था फिर सुबह चार बजे उठता
झाडू पाेचा बर्तन करना उसे पड़ता
नास्ता भी बनाना सबके कपड़े धाे कर है
क्याें की वह गरीब एक नाैकर है
जूत्ताें में सबके वह पालिश लगाता
घर के सब लाेगाें की पावं भी दबाता
फिर भी ईज्जत् कभी नहीं पाता
उस से हर काेई चिढ़ता ही रहता
स्वार्थ पश्चात् रास्ते का ठाेकर है
क्याें की वह गरीब एक नाैकर है
बना कर खाना टेवल पर लगाता
सब खाते कुर्सी में बैठके वाे सब काे खिलाता
खुद वह जमिन पर बैठता
सुखी राेटी दाे चार बगैर शब्जी खाता
तास के पताें का ही जाेकर है
क्याें की वह गरीब एक नाैकर है
क्या सारी उमर यही करता रहेगा
अाखिर वह ऐसा कब तक सहेगा
काश हम काेई मद्धत उसकी करते
अांख से उसके अांशु कभी भी न गिरते
अांख से उसके अांशु कभी भी न गिरते.........

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




