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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हमारे लगते हो - सुप्रिया साहू

हमारे लगते हो

गुस्से में आप बड़े प्यारे लगते हो, कुछ भी कहो आप हमारे लगते हो...।
चाँद-तारों से सौगातें रखते हो, भरी महफ़िल सनम हमारे लगते हो...।।

आँखों में चेहरा हमारे रखते हो, पर हमसे ही क्यों छुपाए रखते हो...।
दिल की बात दिल में दबाए रखते हो, हमारी तारीफ़ लोगों में बिछाए रखते हो...।।

बालों को हर पल सजाए रखते हो, हर समय कंघी घुमाए रखते हो...।
चेहरे पर मुस्कान बनाए रखते हो, हमें देख क्यों शर्माया करते हो...।।

जाने क्यों हमसे नजरें चुराया करते हो, चोरी-चोरी हमें ताकते रहते हो...।
लफ़्ज़ो में हमारा नाम छुपाए रखते हो, हमारा ही नाम ले बड़ा मुस्कुराया करते हो...।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Lekhram Yadav said

बहुत ही खूबसूरत और लाजवाब रचना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

Supriya sahu replied

शुक्रिया सर जी😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

पवन कुमार "क्षितिज" said

सामने वाले में जो देखा वो सफाई से लिख दिया..बहुत बढ़िया ...👋👍👌

Supriya sahu replied

धन्यवाद पवन सर जी 😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत खूब...लफ़्ज़ो में हमारा नाम छुपाए रखते हो, हमारा ही नाम ले बड़ा मुस्कुराया करते हो...।।

Supriya sahu replied

शुक्रिया आदरणीय सर जी😊, आपको सादर प्रणाम 🙏।

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! बहुत खूब 👌

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत आभार एवं धन्यवाद मैम 😊 आपको सादर प्रणाम 🙏।

श्रेयसी said

बहुत ख़ूब 🙏🙏। मेरी कल वाली रचना जरुर पढ़े। हम भारतियों को पढ़ना चाहिए।

Supriya sahu replied

शुक्रिया मैम😊, जी जरूर पढूंगी👍।

वन्दना सूद said

वाह वाह बहुत खूबसूरत रचना 👏👏👌👌

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत धन्यवाद मैम🙏

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