कविता - नारी और पुरुष....
मैंने अपना दिमाग
खूब लगाया
मगर कुछ समझ
बिलकुल न आया
इंसान बनाने वाले ने
पहले पुरुष बनाया या नारी
इस बात को जितना सोचो
उतना पड़ता जाए भारी
जब पुरुष इस
धरती पर आता है
नारी के गर्व में उसे नौ
महीने रहना पड़ता है
तब जा कर
धरती पर टेकता है
दुनिया तभी
वह पुरुष देखता है
नारी का जन्म होने के लिए
पुरुष की जरुरत होती है
वह भी नारी के ही
गर्व में नौ महीने रहती है
तब जा कर धरती
पर टेकती है
तभी वह नारी भी
दुनिया देखती है
ये संसार में पहले नारी का
हुआ या पुरुष का हुआ आना
ये तो सब गर्व में ही है
आज तक किसी ने नहीं जाना
ये तो सब गर्व में ही है
आज तक किसी ने नहीं जाना.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




