चक्रव्यूह- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
ये सूट बूट,
ये मासूम सा चेहरा।
आईना खोल रहा है,
एक राज गहरा।
असलियत यह नहीं,
इस शैतान की।
फैलाकर,
सांप का फन।
चुपके से,
डसता है।
लगती है,
नशे की लत।
वह,
फड़फड़ाता है।
मगर,
अभिमन्यु की तरह।
चक्रव्यूह से,
नहीं निकल पाता बाहर।