कविता : चिंता की कोई बात नहीं....
मुझे धोखा देने वाली
तुम हो कहां ?
तुम्हारे याद में मैं
रो रहा यहां
शायद तुम ने
ठीक ही किया है
और कुछ भी तो नहीं
धोखा ही तो दिया है
तुम्हारा दिया ये
सदमे से निकल रहा हूं
अब धीरे धीरे
कर कर संभल रहा हूं
वैसे तुम्हारे जाने के बाद मैं
रोया न हो ऐसी तो रात नहीं
मगर तुम आराम से
रहो चिंता की कोई बात नहीं
मगर तुम आराम से
रहो चिंता की कोई बात नहीं.......