कविता : आवारा कुत्ता....
आवारा कुत्ता को
न समझो आवारा
वह भी प्यार से
देखो तो बहुत है प्यारा
आप के घर के गली में कोई
चोर तो नहीं... बार बार देखता है
कभी इधर कभी उधर
रात भर वो बेचारा भोंकता है
किसी से भी बिल्कुल
नहीं डरता है
हर घर घर की वो
सुरक्षा करता है
इतना बड़ा काम
करने के बाद
कोई भी नहीं करता
उसको याद
उसे समझने की
क्या जरुरत पड़ी किसे ?
एक रोटी का टुकड़ा भी
कोई नहीं देता उसे
कम से कम कोई उसे
रोटी देता तो खाता
उसका पेट भरता
किस का क्या जाता
उसका पेट भरता
किस का क्या जाता.......?

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




