पापा आप थे तो घर में रौनक थी,
पापा आप थे तो घर में हँसी-खुशी थी,
बच्चों की चहक,
अपनत्व की महक,
जेब में पैसे की खनक,
थोड़ी डाँट तो थोड़ी धमक थी l
नन्हों की गुजारिश,
अपनों की फरमाईश,
बेटे-बेटियों की ख्वाहिश,
सुखों की बारिश ही बारिश थी ,
और दु:ख की तो कोई गुंजाईश न थी l
पापा आप थे तो बच्चों की किलकारी,
घर में आपकी ही दबेदारी,
चाय पीने वालों की यारी,
और रोज घर आने पर
आपके लिये नई-नई तैयारी थी l
जाने कहाँ गये वो दिन,
पल भर में छोड़ दिया हमको l
पापा पापा कह हम पुकारेंगे किसको l
आप घर के 'हीरा' और हीरो दोनों थे,
आ जाओ न पापा..
लौट आओ न पापा..