कविता : अपनी मर्जी....
प्रिय साड़ी और ब्लाउज
में बहुत अच्छी दिखती हो
क्या कहूं वाकई में तुम
बड़ी सुन्दर दिखती हो
मगर तुम इतनी अच्छे
कपड़ों पर जलती हो
सिर्फ कच्छा बनियान में अर्ध
नग्न हो कर चलती हो
कृपया कपड़े ढंग से सिला
कर चलो सामने ही दर्जी है
अपना बदन अपनी टांग ढको
या न ढको ये तुम्हारी मर्जी है
अपना बदन अपनी टांग ढको
या न ढको ये तुम्हारी मर्जी है.......
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




