तुम्हारेपन के अपनेपन में मैं दुनिया भुला डाला , कभी खुद को बदल डाला, कभी ठुमकों बदल डाला,जिधर भी देखती नज़रे तुम्हारा मैं दिखाती है, मेरी धड़कन की हर आहट में तेरी रूह रहती है,कभी आकर के देखो तुम मेरी नज़रों के मंजर में,इन आंखों को तेरी मौजू का आलम ही दिखाता है,
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